भला करे जठ बुरा होवे,
या है जग की रीत,
थारी जान बचाई काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
चौरासी की जूण मायने,
नाग जूण में आया,
दुख से कटियो मारो जीवन,
पेट घीसनी काया,
बलजाती अग्नि में काया,
होसी मारी जीत,
थारी जान बचायी काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
मैं तो मारो फर्ज निभायो,
जान बचाई थारी,
थारो गुनहगार हु बासक,
लेले जान हमारी,
छोटो सो एक काम रहेगयो,
करके आऊ मीत,
थारी जान बचायी काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
गाया ने बचावण तेजल,
रण संग्राम मचायो,
मीणा से युद्ध लड़कर,
सारी गाया ने ले आयो,
बचना को बाँधियोड़ो तेजल,
एड्डी राखी नित,
थारी जान बचायी काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
रोम रोम में घाव हुयोड़ा,
एक रोम नहीं बाकी,
बाहर आयो बंबी से जब,
हिम्मत ना डसबा की,
और जगह ना बची कहीं भी,
सिर्फ बची या जीभ,
थारी जान बचायी काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
गुण करता थे अवगुण मानियो,
वारे बासक काला,
अमर होगियों नाम जगत में,
गाया का रखवाला,
थारा चरणा माय बावजी,
शानू गावे गीत,
थारी जान बचायी काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
भला करे जठ बुरा होवे,
या है जग की रीत,
थारी जान बचाई काला,
थे या कई पाली प्रीत।।
लेखक / गायक – शानू रेगर।
मो. – 9610489087