ओ मेरा शंकर त्रिपुरारी,
नीलकंठ है धाम तुम्हारा,
नंदी की सवारी।।
सावन के महीने में बाबा,
लागे मेला भारी,
तेरे दर्शन खातर देख,
आरे नर और नारी,
मेरा बाबा जटा धारी,
नीलकंठ है धाम तुम्हारा,
नंदी की सवारी।।
पंच धुनया की करे तपस्या,
अंग भभूत रमावे,
बेलपत्र और भांग धतूरा,
तै भी खुश हो जावे,
बाबा तू औघड़ दानी,
नीलकंठ है धाम तुम्हारा,
नंदी की सवारी।।
‘विन्नी’ के भी मन में आरी,
दर तेरे आवन की,
हरिद्वार ते कावड लयाके,
जल चढ़ावन की,
नीलकंठ है धाम तुम्हारा,
नंदी की सवारी।।
ओ मेरा शंकर त्रिपुरारी,
नीलकंठ है धाम तुम्हारा,
नंदी की सवारी।।
Singer – Vinod Kumar
9466331116