सांवरिया थे तो सेठजी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा,
चाकरी में चुक वेतो दूर मती करजो,
जस्या भी हां सांवरा,
थे माने सहन करजो,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
सांवरिया तू तो जाने घट घट की,
पार करो नाव मारी अटकी,
जस्या आया नरसी की वारा,
मैं सब चाकर हां थारा,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
हाथ थारो माथा पे मारे,
जलवा वाला छीज छीज हारे,
छीजे जाने भी खुब दीज्यो रे सँवरा,
मैं सब चाकर हां थारा,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
रोजी तो थारा नाम सु चाले,
तु ही तो सारी दुनिया ने पाले,
पल पल रिज्यो भक्ता रे लारा,
मैं सब चाकर हां थारा,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
गाड़िया घोड़ा बंगला और सारा,
ये सब दिदा दन है थारा,
कालजा री कोर सांवरिया थे मारा,
लेहरू तो गावे हर पल गुण थारा,
मैं सब चाकर हां थारा,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
सांवरिया थे तो सेठजी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा,
चाकरी में चुक वेतो दूर मती करजो,
जस्या भी हां सांवरा,
थे माने सहन करजो,
साँवरिया थे तो सेठ जी मारा,
मैं सब चाकर हां थारा।।
स्वर / लेखन – सुरलहरी लेहरूदास वैष्णव।