जग में गाय माता सुखदाई,
जे कोई दूध पीवे गाय को,
जन्म जन्म तिर जाई।।
सुर असुर ने मंथन कीना,
काम धेनू प्रकट्याई,
स्वर्ग लोक सुरभि आई,
गौकर्ण जन्माई।।
गाय मांही देवी देवता,
लक्ष्मी और गंगा माई,
गाय बिना यज्ञ न होवे,
वेतरणी पार कराई।।
थोड़ा खावे धणूं देवे,
सब कुछ औषधि पाई,
गऊ दान सेवा की महिमा,
वेद पुराणां गाई।।
राम कृष्ण ऋषि मुनि सारा,
रक्षा पूजा बताई,
सुवा पशुभूल मत मानो,
हरि का प्राण बताई।।
जग में गाय माता सुखदाई,
जे कोई दूध पीवे गाय को,
जन्म जन्म तिर जाई।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।