हाँ जी चालो सत्संग में,
दोहा – सत्संग से सुख उपज्ये,
कु सत्संग गुण जाई,
सत्संग के प्रताप से,
काग भी हंस बण जाई।
हाँ जी चालो सत्संग में,
सत्संगीया रे करो रे विचार।।
सत्संगत मे आनंन्द सुख हौवै,
साथिडा नै लाज्यो लार,
चालो सत्संग मे।।
संत सदा उपदेश सुनावै,
कर दिया भवसागर पार,
चालो सत्संग मे।।
धर्म अर्थ काम और मोक्ष,
फल पावोला चार,
चालो सत्संग मे।।
सत्संग में महापुरुष विराजै,
खोलै मोक्ष द्वार,
चालो सत्संग मे।।
तोलाराम सत्संग की महिमा,
सुभरत का संसार.
चालो सत्संग मे।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।