धोली रे धोली ध्वजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एं दुनिया रे मायने।।
केशरियो हैं बागों प्यारो, 
नेजो सोवे हाथ में, 
रुनिचे में रामदेव जी, 
मूरत लागे मन में मोवनी,
धोली रे धोली धजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एन कलयुग रे मायने।।
आगे आगे वीरमदेव जी, 
लारे हरजी भाटी रे, 
बापजी रे चवँर ढुलावे, 
लगन चरण में लगी रे, 
धोली रे धोली धजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एन कलयुग रे मायने।।
मार्ग में फुलड़ा री जाजम, 
उड़े अबीर गुलाल रे, 
पिछम घरा रो घणी रामदे, 
मेंणा दे रो लाल रे, 
धोली रे धोली धजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एन कलयुग रे मायने।।
आंधिया ने आंखियां देवे, 
निर्धनिया घन पावे रे, 
बाँझिया ने बेटा देवे बाबो, 
काया कष्ट मिटावे रे, 
धोली रे धोली धजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एन कलयुग रे मायने।।
रामदेव री महिमा ओ तो, 
पियुष गान सुनावे रे, 
साचो हँ दरबार घणी रो, 
खाली कोई नी जावे रे, 
धोली रे धोली धजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एन कलयुग रे मायने।।
धोली रे धोली ध्वजा फरुके, 
रुनिचे रे मायने, 
एक आसरो रामधणी रो, 
एं दुनिया रे मायने।।
गायक – पियूष जांगिड़।
– लेखन एवं प्रेषक – 
गोपाल जी सुथार जसोल।
 
			







 
