कर मात पिता की सेवा तु,
तेरा जन्म सफल हो जायेगा रे,
कर मात पिता की सेवा तु।।
तर्ज – मत प्यार करो परदेशी से।
नौ मास गर्भ मे खूब रहा, 
क्या कष्ट सहे वो माँ जाने, 
क्या कीमत माँ की ममता की, 
सारी उम्र चुका ना पायेगा रे, 
कर मात पिता की सेवा तु।।
खुद कमाया चाहे कर्ज किया, 
हर शौक पिता ने पूरा किया, 
अहसान पिता का जो सर पे, 
सारी उम्र ऊतर ना पाऐगा, 
कर मात पिता की सेवा तु।।
माँ बाप से बढकर दुनिया मे, 
ना कोई खजाना हो सकता, 
जो भूल गया माँ बाप को, 
सुख चैन कभी ना पायेगा, 
कर मात पिता की सेवा तु।।
माँ बाप के चरणौ मे औ बन्दे, 
है स्वर्ग ये मोहित कहता है, 
माँ बाप की सेवा से बन्दे, 
तेरा जन्म सफल हो जायेगा रे,
कर मात पिता की सेवा तु।।
कर मात पिता की सेवा तु,
तेरा जन्म सफल हो जायेगा रे,
कर मात पिता की सेवा तु।।
– लेखक एवं प्रेषक –
कुमार मोहित शास्त्री
8006739908
वीडियो उपलब्ध नहीं।
 
			








 
