ऊंचे पर्वत पे मैया का,
भवन बड़ा है प्यारा,
इन आंखों में ना समाए,
इतना सुंदर अजब नजारा,
बड़ा सुंदर अजब नजारा,
जय जय माँ जय जय माँ,
जय जय माँ जय जय माँ।।
हरी भरी सुंदर वादी में,
माँ ने लगाया डेरा है,
हर पर्वत हिम से शोभित,
राह में रंग बिखेरा है,
इन राहों पे भक्ति भाव से,
बोले सब जयकारा,
इन आंखों में ना समाए,
इतना सुंदर अजब नजारा,
बड़ा सुंदर अजब नजारा,
जय जय माँ जय जय माँ,
जय जय माँ जय जय माँ।।
दूर दूर से दर्शन करने,
जो मैया के आते है,
अपने जीवन में अपनी,
मंज़िल को वो पा जाते है,
ये मैया तो सबकी मइया,
सब को पार उतारा,
इन आंखों में ना समाए,
इतना सुंदर अजब नजारा,
बड़ा सुंदर अजब नजारा,
जय जय माँ जय जय माँ,
जय जय माँ जय जय माँ।।
ऊंचे पर्वत पे मैया का,
भवन बड़ा है प्यारा,
इन आंखों में ना समाए,
इतना सुंदर अजब नजारा,
बड़ा सुंदर अजब नजारा,
जय जय माँ जय जय माँ,
जय जय माँ जय जय माँ।।
स्वर / लेखन – राज कुमार भारद्वाज।
9034581000