तू जब जब मुरली बजाए,
मैं दौड़ी आऊं यमुना किनारे,
यह गोकुल मथुरा प्यारे,
हम आए शरण तुम्हारे,
तेरी मुरली की धुन,
सुन हुई रे मगन,
मेरे भोले सांवरा,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
गोकुल की इन गलियों में,
आई थी दहिया बेचने,
हो गया मन बावरा,
लगी में तुझको झाकने,
राह मेरी कहीं खो गई,
मैं तो दीवानी सी हो गई,
मुझको मुखड़ा दिखा दे जरा,
नंद दुलारे आ जरा,
मेरा माखन चुरा ले,
मेरे दिल को चुरा ले,
मेरे भोले सांवरा,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
जब मुरली की धुन सुनी,
आई में मधुवन में,
आजा ओ मेरे मोहना,
कब से खड़ी उपवन में,
सखियों को पीछे छोड़ मैं,
तुझसे मिलने आ गई,
तेरी यही चाहत मोहना,
मेरे मन को भा गई,
तु मुझको सताए,
मेरा मन घबराए,
मेरे भोले सांवरा,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
माथे मुकुट गल माल है,
कमर कांचनी सोहे,
कानों में कुंडल झुमके,
मेरे मन को मोहे,
इस चंद्रमा के रूप से,
तुम लुभाया ना करो,
इस बांसुरी की तान पर,
यू विलमाया ना करो,
मेरे मन को लुभादे,
मुझे आज सुना दे,
मेरे कृष्ण मुरार,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
एक ठिकाना मेरा भी,
बना दे गोकुल गांव में,
सांझ सवेरे सुन लूंगी,
बंसी कदम की छांव में,
मीठी-मीठी बजाना तू,
तान सुरीली सुनाना तू,
मुझको देना शरण कान्हा,
अपना मुझे बनाना तु,
गावे अनंत लोहार,
ध्यावे सुरेश सुथार,
मेरे श्याम सावरे,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
तू जब जब मुरली बजाए,
मैं दौड़ी आऊं यमुना किनारे,
यह गोकुल मथुरा प्यारे,
हम आए शरण तुम्हारे,
तेरी मुरली की धुन,
सुन हुई रे मगन,
मेरे भोले सांवरा,
मेरा मन मोह लिया,
तूने मन मोह लिया।।
गायक – अनंत लोहार।
प्रेषक – केशु लाल लोहार।
9784293640








