सत री संगत के माही मुर्ख नही जावे रे भजन लिरिक्स
सत री संगत के माही, मुर्ख नही जावे रे। दोहा – एक घडी आधी घडी, आधी में पुनि आध, तुलसी संगत साध की, …
सत री संगत के माही, मुर्ख नही जावे रे। दोहा – एक घडी आधी घडी, आधी में पुनि आध, तुलसी संगत साध की, …