सत्संग बड़ी संसार में कोई बड़भागी नर पाया भजन लिरिक्स
सत्संग बड़ी संसार में, कोई बड़भागी नर पाया।। संगत सुधरे वाल्मीकि, जग की परित् लगी फीकी, रामायण दी रच निकी, साठ सहस्र विस्तार …
सत्संग बड़ी संसार में, कोई बड़भागी नर पाया।। संगत सुधरे वाल्मीकि, जग की परित् लगी फीकी, रामायण दी रच निकी, साठ सहस्र विस्तार …