बड़ी दीन दुखी हूँ अनाथ महा यह दासी पड़ी शरणे तेरे
बड़ी दीन दुखी हूँ अनाथ महा, यह दासी पड़ी शरणे तेरे।। तर्ज – श्यामा आन बसो वृन्दावन में। सब स्वारथ मित्र से विश्व …
बड़ी दीन दुखी हूँ अनाथ महा, यह दासी पड़ी शरणे तेरे।। तर्ज – श्यामा आन बसो वृन्दावन में। सब स्वारथ मित्र से विश्व …