गोबिन्द थे छो दयानिधाण़ झोळी भर द्यो भिच्छुक जाण़
गोबिन्द थे छो दयानिधाण़, झोळी भर द्यो भिच्छुक जाण़, राखो घर आयां को माण़, मैं सुणावूं बिण़ती, सुणावूं बिण़ती, मैं सुणावूं कितण़ी।। आप …
गोबिन्द थे छो दयानिधाण़, झोळी भर द्यो भिच्छुक जाण़, राखो घर आयां को माण़, मैं सुणावूं बिण़ती, सुणावूं बिण़ती, मैं सुणावूं कितण़ी।। आप …