क्या खेल रचाया है तूने खाटू नगरी में बैकुंठ बसाया है लिरिक्स
क्या खेल रचाया है, तूने खाटू नगरी में, बैकुंठ बसाया है।। तर्ज – ये मेरी अर्जी है। कहता जग सारा है, कहता जग …
क्या खेल रचाया है, तूने खाटू नगरी में, बैकुंठ बसाया है।। तर्ज – ये मेरी अर्जी है। कहता जग सारा है, कहता जग …