गणपत गरवा ओपरा रे सिंवरो भाई संतो भजन लिरिक्स
गणपत गरवा ओपरा रे, सिंवरो भाई संतो। श्लोक – सौ सौ चन्दा ऊगवे, सूरज तपे हजार, इतरा चानण होत भी, गुरू बिना घोर …
गणपत गरवा ओपरा रे, सिंवरो भाई संतो। श्लोक – सौ सौ चन्दा ऊगवे, सूरज तपे हजार, इतरा चानण होत भी, गुरू बिना घोर …