ऐ मेरे मन अभिमानी क्यो करता है नादानी

ऐ मेरे मन अभिमानी क्यो करता है नादानी

ऐ मेरे मन अभिमानी, क्यो करता है नादानी। तर्ज – ऐ मेरे वतन के लोगो। शेर- है तेरे भजन की बैरा, यहाँ कोई नही …

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