एड़े मते जग में चालनो भवजल उतरो पार भजन
हंस संत गत एक है, करे निज मोतीयो रो आहार, अगल वचन री आखड़ी, ऐसा है स्वभाव, एड़े मते जग में चालनो, भवजल …
हंस संत गत एक है, करे निज मोतीयो रो आहार, अगल वचन री आखड़ी, ऐसा है स्वभाव, एड़े मते जग में चालनो, भवजल …