मोर मुकुट और तिलक विशाला भजन लिरिक्स
मोर मुकुट और तिलक विशाला, पग पैजनी बैजंती माला।। पूरण ब्रम्ह सकल अविनाशी, मंगल मूरत वो सुख राशि, श्याम वरण ...
Read moreDetailsमोर मुकुट और तिलक विशाला, पग पैजनी बैजंती माला।। पूरण ब्रम्ह सकल अविनाशी, मंगल मूरत वो सुख राशि, श्याम वरण ...
Read moreDetailsसुआ बोल राम की वाणी, दोहा - कुंजर मद मस्त मरे तो मारिए, कामनी कनक कलेश टले तो टालिए, हरि ...
Read moreDetailsराम भजन करले रे म्हारा मनवा, दोहा - लोभ सदा जिनके धन को जन, सो निश्वासर दाम भजे, भोग इच्छा ...
Read moreDetailsसतगुरु शरण गयो सुख पायो, दोहा - कहे दास सगराम, गुरु की महिमा भारी, कीकर वरणी जाय, जीब धुजे रे ...
Read moreDetailsराधिका प्रेम भक्ति रस आली, दोहा - उस भूमि को कौन बखान सके, जिस भूमि पे खेली है भानु दुलारी, ...
Read moreDetailsतेरी बांकी अदा बांके बिहारी, दोहा - बांके बिहारी की बांकी अदा पे, मैं बार बार बलिहारी जाऊं, जनम जनम ...
Read moreDetailsना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते है। दोहा - प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम ...
Read moreDetailsजब सर पे हाथ है तेरा, तेरे होते क्यो फिकर करूँ मैं, ओ बाबोसा मेरे भगवन, तेरा हरपल शुकर करूँ ...
Read moreDetailsकागज मंड गयो रे कर्मा को, दोहा - तारा की ज्योति में चंद्र छिपे ना, सूर्य छिपे ना बादल छाया, ...
Read moreDetailsप्रितम पायो रे काया में, दोहा - पूरण भेंट लिया गुरु पूरण, पूरण बोध भया अज मोई, पूरण की पहचान ...
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