स्वर्ण पर्वताकार शरीरा श्री हनुमान कहावे लिरिक्स
स्वर्ण पर्वताकार शरीरा, श्री हनुमान कहावे, सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।। सालासर में सोना बरसे, जब चाहे ...
Read moreDetailsस्वर्ण पर्वताकार शरीरा, श्री हनुमान कहावे, सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।। सालासर में सोना बरसे, जब चाहे ...
Read moreDetailsचाकर राख ले सांवरिया, तेरो बहुत बड़ो दरबार, चाकर राख ले, बहुत बड़ो दरबार तेरो, बहुत बड़ो दरबार चाकर राख ...
Read moreDetailsशरण तेरी आन पड़ा हूँ, अब सम्भालो ना श्याम धणी, विनती मेरी सुननी ही होगी, देखो विपदा आन पड़ी।। कितनो ...
Read moreDetailsगोकुल के राजा कन्हैया ना होते, दोहा - कृष्णा कृष्णा सब कहे, और ठग ठाकुर चितचोर, बिना प्रेम रीझत नहीं, ...
Read moreDetailsदर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो, करुणा के सिंधु मालिक, अपनी विरद बचा लो, दर पर तुम्हारें आया, ...
Read moreDetailsके संकट आता है, ये दिल घबराता है, मेरी हर मुश्किल का, ये हल बन जाता है, मैं गर्व से ...
Read moreDetailsजबसे मिला, तेरा प्यार बाबोसा, मैंने जीवन दिया, तुझपे वार बाबोसा, जब से मिला, तेरा प्यार बाबोसा।। तर्ज - पलको ...
Read moreDetailsश्याम तेरी पूजा में, मुझे भी बुला लेना, काबिल नहीं हूँ फिर भी, मुझे ना भुला देना।। बिगड़ी बनाई बाबा, ...
Read moreDetailsमैं हार के दर पे आया, कान्हा ने हाथ बढ़ाया, पलभर में श्याम धनि ने, हारे को गले लगाया, कन्हैया ...
Read moreDetailsमुझे श्याम यूँ तुम, भूला ना सकोगे, छुड़ा के ये दामन, जा ना सकोगे, मुझे श्याम यूं तुम, भूला ना ...
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