मुझे खाटू में बुलाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है,
अपना मुझे बनाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है।।
ऐसा लगाया चस्का,
अपने ही प्रेम रस का,
ऐसा लगाया चस्का,
अपने ही प्रेम रस का,
पागल मुझे बनाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है।।
कीचड़ की कंकडी को,
मंदिर बना दिया है,
कीचड़ की कंकडी को,
मंदिर बना दिया है,
चरणों में चित लगाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है।।
भटका था दर बदर मैं,
विषयों में मन फसा के,
भटका था दर बदर मैं,
विषयों में मन फसा के,
विषयों से मन हटाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है।।
मुझे खाटू में बुलाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है,
अपना मुझे बनाया,
ये कृपा नहीं तो क्या है।।
Singer – Uma Lahari Ji