म्हारा सतगुरु देवे उपदेश,
चालो सतसंग में।।
भाग भला से मानव तन पाया,
देखो कैसी सुन्दर काया,
ई ने करदो गुरुजी आगे पेश,
चालो सतसंग में।।
सतगुरु दाता ज्ञान सुणावे,
जन्म-मरण का फन्दा मिटायें,
गुरु मिटा देवे जीव का कलेश,
चालो सतसंग में।।
सतसंग की महिमा है भारी,
जामें बैठो नर और नारी,
थे पहली त्यागो दुरेश,
चालो सतसंग में।।
मानाराम गुरु सामर्थ पाया,
सायरमेघ का भाग सवाया,
म्हाने चरणां में राखो हमेश,
चालो सतसंग में।।
म्हारा सतगुरु देवे उपदेश,
चालो सतसंग में।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।