मैया जी स्वर खा ऐसो मांजो,
दोहा – प्रथम नमन गुरुदेव खो,
द्वितीय आदि गणेश,
सीस नवाऊ सरस्वती,
मोरे कंठ करो प्रवेश।
जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
मैया जी स्वर खा ऐसो मांजो,
माँ आन विराजो,
कण्ठ अपने लाल के।।
श्रद्धा को आसान डारो,
नयन से निहारो,
जगत जननी करदो मैया,
तुम्ही तो सहारो,
हो जावे साजो साजो साजो,
माँ आन विराजो,
कण्ठ अपने लाल के।।
साधना करी ना कोनऊ,
विद्या की विधाता,
ज्ञान की अलोकिक गंगा,
भरो घाट में माता,
राग रागिनी से सरगम आंजो,
माँ आन विराजो,
कण्ठ अपने लाल के।।
जानती हो मन की मैया,
भरो झोली खाली,
आपकी कृपा से बन गए,
कालिदास काली,
कला कर कला से बाजे बाजो,
माँ आन विराजो,
कण्ठ अपने लाल के।।
मैया जी सुर खा ऐसो मांजों,
माँ आन विराजो,
कण्ठ अपने लाल के।।
गायिका – कमलेश कुशवाहा।
प्रेषक – दुर्गा प्रसाद पटेल।