कुलदेवी मारी ए,
दोहा – पहले मनाई पांडवे,
अर्जुन छोटे भीम,
नगर कोट नागर बसे,
उंड़ी देराई नीव।
ओ मारा माताजी सिरमोर,
जोवा थारी वाट घनी,
कुलदेवी मारी ए,
आड़ो खोल मुड़े बोल,
मुड़े पड़ी बोल,
जोवा थारी बाट घनी।।
उची भाकर बेसनो माँ,
करजो मारी साये,
ध्वजा फ़रूखे सोवनी माँ,
इंडो चमकत जाए,
जोवा थारी बाट घनी।।
ओ तारो वाली चुंदरी ओड़ ने,
दर्शन देवो आए,
ढोल नगाड़ा बाजे रे नोपता,
झालर रो झंकार,
जोवा थारी बाट घनी।।
दूरा देशा रा जातरु माँ,
निवन करवा ने आये,
भरी सभा रे माईने माँ,
राखो मारी लाज,
जोवा थारी बाट घनी।।
मंगलसिंह री विनती माँ,
शरणा सो सो बार,
महावीर सांखला दास शरण रो,
सुन लीजो अरदास,
जोवा थारी बाट घनी।।
गायक – महावीर सांखला जी।
प्रेषक – हरीश सुथार।
9323031224