कारीगर मत ना भटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
कारीगर पत्थर घड़ियों रे,
पत्थर में पायो छेद,
छेद माही कीड़ों जिवतो रे,
नाही जीबा रि उमेद,
मुख माही दाणो लटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
कारीगर किरतार ने भाई,
करबा लागो याद,
दौड़ बुढ़ापो आगियो जी,
कदी ने भजियो राम,
भरोसे बैठो डटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
जंगल में मंगल भया रे,
चुरू मिल्या जमी दोट,
भक्त कहे भगवान ने,
मारे बांदे क्यू नी पोट,
मारे घर का नी पटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
चोरा ने चर्चा सुनी रे,
दीना चुरू रे निकाल,
कर्म हीन धन कैसे पावे,
धन का होग्या साप,
बात चोरा के खटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
चोर चरू निकालिया भई,
दीना ढकन लगाय,
जा पटको वा दुश्मन उपर,
काल उसी को खाय,
दुश्मन मर जा जटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
चोर चड्या छत उपरे रे,
लीना छपरा उगाड़,
माधव केवे धन मेरे दाता,
देवे छपर फाड़,
कारीगर गिनले जटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
कारीगर मत ना भटके रे,
मुसाफिर मत ना भटके रे,
कर मालिक ने याद,
काम थारो कदी ना अटके रे।।
गायक – भेरुपुरी गोस्वामी सोपुरा।
प्रेषक – अंजनीपुत्र स्टील रेवाड़ा।
9460186627