जहाँ डाल डाल पर, 
सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा।
श्लोक – गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु,
गुरुदेव महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रह्म,
तत्समये श्री गुरुवे नम:।
जहाँ डाल डाल पर, 
सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा,
जहाँ सत्य अहिंसा और धर्म का, 
पग-पग लगता डेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
ये धरती वो जहाँ ॠषि मुनि, 
जपते प्रभु नाम की माला,
जहाँ हर बालक एक मोहन है, 
और राधा एक एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आकर, 
डाले अपना फेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
जहाँ गंगा जमुना कृष्णा और, 
काँवेरी बहती जाये,
जहाँ उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम, 
को अमृत पिलवाये,
कहीं ये फल और फूल उगाए, 
केसर कहीं बिखेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
अलबेलों की इस धरती के, 
त्यौहार भी है अलबेले,
कहीं दीवाली की जगमग है, 
होली के कही मेले,
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का, 
चारों ओर है घेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
जहाँ आसमान से बातें करते, 
मंदिर और शिवाले,
किसी नगर में किसी द्वार पर, 
कोई न ताला डाले,
और प्रेम की बंसी जहाँ बजाता, 
आए शाम सवेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
जहाँ डाल डाल पर, 
सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा,
जहाँ सत्य अहिंसा और धर्म का, 
पग-पग लगता डेरा,
वो भारत देश है मेरा,
वो भारत देश है मेरा।।
			







बहुत अच्छा लगा था
Desh bhakti Geet bahut achchha laga