एक बार हमें बुला लो ना,
दोहा – गुरु पूर्णिमा की रात आई,
खंडवा नगर में जश्न उठा,
धूनी वाले दादाजी का,
बड़ा प्यारा मेला लगा।
निशान लेके हाथ में,
भक्त है ये चले,
सच्चा है ये दर तेरा,
प्यारा मुझे लगे,
चरणों की धूल दे दो ना,
अब है हम तेरे,
एक बार हमें बुला लो ना,
दादा जी दर तेरे।।
दर्शन को मेरी अखियां,
कब से तरस रही,
चरणों से लगा लो ना,
कब से तरस रही,
तुम हो बड़े दयालु,
तुम हो बड़े कृपालु,
अब है हम तेरे,
इक बार हमे बुला लो ना,
दादा जी दर तेरे।।
गुरु पूर्णिमा में लाखों भक्त,
दर्शन को आते है,
दर्शन कर कर सारे भक्त,
खुशियां मनाते है,
खुशियों से सारे मिलजुल कर,
खुशियों से सारे मिलजुल कर,
खुशियां मनाते है,
इक बार हमे बुला लो ना,
दादा जी दर तेरे।।
निशान लेके हाथ में,
भक्त है ये चले,
सच्चा है ये दर तेरा,
प्यारा मुझे लगे,
चरणों की धूल दे दो ना,
चरणों की धूल दे दो ना,
अब है हम तेरे,
इक बार हमे बुला लो ना,
दादा जी दर तेरे।।
स्वर – त्रिवेणी स्वरी।
9479417323