देखो लेकर के कावड़,
हनुमान आ रहे,
हनुमान आ रहे,
लग रहा जैसे,
शंकर भगवान आ रहे।।
है स्वयं ही हनुमान शंकर,
ला रहे गंगाजल देखो भरकर,
पार सागर को करते जो उड़कर,
आ रहे नंगे पैरों से चलकर,
तीनों लोकों में सबसे,
बलवान आ रहे,
हनुमान आ रहे,
लग रहा जैसे,
शंकर भगवान आ रहे।bd।
लेके कावड़ चले रूद्र धारी,
लग रही है छवि प्यारी प्यारी,
जैसे है वे स्वयं त्रिपुरारी,
ग्यारवे अंश के है अवतारी,
जैसे बन करके आंधी,
तूफान आ रहे,
हनुमान आ रहे,
लग रहा जैसे,
शंकर भगवान आ रहे।।
काँधे कावड़ गले रुद्रमाला,
लग रहा है पवनसुत निराला,
भोला है अंजनी का यह लाला,
भोले का रूप है भोला भाला,
कहता कैलाश शिव की,
पहचान आ रहे,
हनुमान आ रहे,
लग रहा जैसे,
शंकर भगवान आ रहे।bd।
देखो लेकर के कावड़,
हनुमान आ रहे,
हनुमान आ रहे,
लग रहा जैसे,
शंकर भगवान आ रहे।।
गायक – श्री नरेश सैनी जी।
प्रेषक – शेखर चौधरी।
मो – 9754032472