पूजा रा फल भाल, 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
कोई चाले हाथी घोड़े, 
कोई ऊँटे सवार,
कोई चाले पगले पाले, 
किन रेई माथे भार। 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
कोई जिमें लाडू पेड़ा, 
कोई चावल भात,
कोई जिमें सुखा टकड़ा, 
कोई भूखाई काडे रात। 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
किंन रेई केजे पांच पुत्र, 
किन रे कहिजे एक,
कोई जग में वाजिओ, 
ज्यारी हरी राखेला टेक। 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
कोई पौढ़े हिंगलू ढोलिये, 
कोई बिसाने खाट,
कोई पौढ़े पातरे, 
कोई फिरतो काढे रात। 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
भजो निर्जन नाथ ने, 
जो आत्म आधार,
अंदोजी सोनी बोलिया, 
भाई भवजल उतरो पार। 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
पूजा रा फल भाल, 
भोली म्हारी आत्मा रे,
ईश्वर पूजा रा फल भाल।।
“भजन श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
 
			








 
