बाईसा कुमकुम पगलिये पधारो,
म्हारा हिवड़ा रो म्हारे मनडां रो,
म्हारे मनडा रो बोले मोर,
पधारो बाईसा।।
तर्ज – बन्ना रे बागा में।
बाईसा प्रीत हमारी या साँची,
कभी टूटे न सँग छुटे न,
कभी टूटे न प्रीत की डोर,
पधारो बाईसा।।
बाईसा थे ही जाणो सबरे मन री,
थे हो म्हारा म्हे हाँ थारा,
थे ही कालजे री कोर,
पधारो बाईसा।।
बाईसा थारे नाम सु चाले या गाड़ी,
थे ही आस हो विश्वास हो,
थापे चाले म्हाको जोर,
पधारो बाईसा।।
बाईसा सुणलो अरजी म्हाकी,
आओ जल्दी कराँ विनती,
कराँ विनती बारम्बार,
पधारो बाईसा।।
बाईसा थे बाबोसा ने लाज्यो,
केवे “दिलबर” भगता पर,
थे करदियो यो उपकार,
पधारो बाईसा।।
बाईसा कुमकुम पगलिये पधारो,
म्हारा हिवड़ा रो म्हारे मनडां रो,
म्हारे मनडा रो बोले मोर,
पधारो बाईसा।।
गायिका – रेखा राव, हर्ष व्यास मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
म्यूजिक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
मो . 9820947184