आकै ज्योत प खेलों,
मेरी मां कालका,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
तेरा सब तै रूप निराला,
तेरी महिमा सब तै न्यारी,
शनिवार के दिन न,
तनै पुजै दुनियां सारी,
मनै आकै दर्श करादे,
रूप विकराल का,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
तेरी सारी भेंट री दे दूं,
तेरा दे दूं पान और पेड़ा,
खुश होकै री मेरी मैया,
आज ज्योत प लाजा गेड़ा,
मरघट म भोग तेरा दे दूंगा,
सब ढाल का,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
तेरी कैसे करूं बढ़ाई,
और क्यूकर महिमा गाऊ,
तनै हाथ जोड़ कै री मैया,
आज सभा बीच म बुलाऊं,
मैं बहुत दुःखी सु,
रोग स कई साल का,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
गुरु राजेन्द्र शर्मा भी,
करता है तेरी भक्ति,
हे री तीन लोक म मैया,
ना तुझ सी री कोई शक्ति,
तेरे सुनील कुमार न,
ज्ञान दिए स्वर ताल का,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
आकै ज्योत प खेलों,
मेरी मां कालका,
रोग काटकै जाईए री,
तेरे लाल का।।
गायक & लेखक – सुनील कुमार लदानियां।
99961-23336








