ब्रज की महिमा है,
दुनिया से न्यारी।
दोहा – ब्रजरज की महिमा बड़ी,
करते संत बखान,
मस्तक पर धारण किए,
मिट जाता अभिमान।
ब्रज की महिमा है,
दुनिया से न्यारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी।bd।
तर्ज – खाली दिल नहीं।
चन्दन है ब्रज की माटी,
भक्ति का वास है,
बांके बिहारी जी का,
होता महारास है,
गया ना निराश जो भी,
लेके आया आस है,
ज्ञान वैराग्य भक्ति पधारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी।bd।
संत और गाय सेवा,
ब्रज ने ही पाई है,
यही ब्रज की माटी मेरी,
सांवरे ने खाई है,
गैया चराई या ने,
बांसुरी बजाई है,
कल कल करती है,
कालिंदी काली,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी।bd।
चारों धामों से मेरा,
ब्रज ये निराला है,
दुनिया बनाने वाला,
बना नन्द लाला है,
कुञ्ज बिहारी दास फेरे,
इनकी ही माला है,
जिनके चरणों में,
दुनिया है सारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी।bd।
बृज की महिमा है,
दुनिया से न्यारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी,
श्याम श्याम बोलो,
चाहे बांके बिहारी।bd।
गायक – श्री कुंजबिहारी दास जी।








