तेरी चुनरी की छाया म्ह,
मेरा गात राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
तर्ज – आदमी हूँ आदमी से।
तीन लोक में राज तेरा सै,
जगत रचाणे वाली,
तेरे बाग के दरख्त की माँ,
मैं सूं कच्ची डाली,
कर आंचल की ओट हरे,
यैं पात राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
तेरी ममता का सारे जग म्ह,
न्यारा हे प्रमाण माँ,
जग जननी तनै कहकै पूज्जै,
सारा यू जहान माँ,
डर लाग्गै सै ध्यान मेरा,
दिन रात राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
पार लगादे नैय्या नै मेरी,
आश तेरे पै,
करया भरोसा इस दूनीया म,
खास तेरे पै,
शरण पडे़ की ठुकराईए ना,
बात राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
कुड़लण आला गजेन्द्र स्वामी,
बणकै दास तेरा,
अर्ज करो स्विकार भरोसा,
मनै खास तेरा,
नौकर बणाकै लक्की नै,
हरदम पास राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
तेरी चुनरी की छाया म्ह,
मेरा गात राखिए री,
तेरे बेटे पै हे जग जननी,
हाथ राखिए री।।
लेखक व प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
9034283904