राधे बिन श्याम मिले कैसे,
तुलसी बिन भोग लगे कैसे।।
सरयू नहाई मैंने गंगा नहाई,
सरयू नहाई मैंने गंगा नहाई,
गंगा नहाई मेंने गंगा नहाई,
यमुना बिन श्याम मिले कैसे,
राधें बिन श्याम मिलें कैसे,
तुलसी बिन भोग लगे कैसे।।
बैकुंठ गई मैं तो अवध गई,
बैकुंठ गई मैं तो अवध गई,
बैकुंठ गई मैं तो अवध गई,
वृंदावन बिन श्याम मिले कैसे,
राधें बिन श्याम मिलें कैसे,
तुलसी बिन भोग लगे कैसे।।
मंदिर में ढूंढा गुरूद्वारे में ढूंढा,
मंदिर में ढूंढा गुरूद्वारे में ढूंढा,
मेरे हृदय में श्याम मिले कैसे,
राधें बिन श्याम मिलें कैसे,
तुलसी बिन भोग लगे कैसे।।
राधे बिन श्याम मिले कैसे,
तुलसी बिन भोग लगे कैसे।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202