गणपति बलकारी जी,
दोहा – सुंडाला दुःख भंजना,
सदा जो बालक वेश,
सारों पहले सुमरिएं,
श्री गवरी नंद गणेश।
गणपति बलकारी जी,
फतेह हमारी आज करो,
रिद्धि सिद्धि के दाता जी,
फतेह हमारी आज करो।।
शिव शंकर है पिता तुम्हारे,
पारवती है माता,
देवों के सिरमोर गजानंद,
पहले तुम्हे मनाता,
मेरे सिर पर रख दो हाथ,
फतेह मार आज करो,
गणपति बलकारीं जी,
फतेह हमारी आज करो।।
मोदक का तुझे भोग लगत है,
गल फूलों की माला,
हे गजवदन गणेश विनायक,
रूप तेरा है निराला,
मेरे पूरण कर दो काज,
फतेह मार आज करो,
गणपति बलकारीं जी,
फतेह हमारी आज करो।।
मुसक चढ़कर रणत भवन से,
बेगा बेगा आओ,
भक्तों के है भाग्य विधाता,
रिद्धि सिद्धि संग में लाओ,
तिहुँ लोक में ऊंची शान,
फतेह मार आज करो,
गणपति बलकारीं जी,
फतेह हमारी आज करो।।
गणपति बलकारीं जी,
फतेह हमारी आज करो,
रिद्धि सिद्धि के दाता जी,
फतेह हमारी आज करो।।
गायक – सुरेश दाधीच।
प्रेषक – खेमराज बच्छ।
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