नाम में धरियो कछु ना भाई,
कर्मा में लिखीयोड़ा मिलसी,
शुभ कर्म सदा सुखदाई।।
एक गांव में एक बाई के,
नाम की आपत आई,
ठन ठन पाल है नाम पति का,
नाम ना मन में भाई।।
नाम के कारण छोड़ पति को,
चली पीहर के ताई,
रस्ते में एक अमर नाम का,
मरिया मसाना जाई।।
अमरा जी तो अमर हुया नहीं,
चिंता मन में छाई,
धनराज ज्याका नाम कहावे,
मांग मांग कर खाई।।
उजड़ बनी में छाना बिनती,
एक आवाज लगाई,
जांबा वाली जालों उच्चादे,
बर्जे लछ्मी बाई।।
अमरा मरिया देखिया जी,
धन जी मांग न खाई,
लछ्मी छाना बीने,
ठन ठन पाल ही ठीक है भाई।।
कर्म करे सो करे ना कोई,
कर्म बड़ा जग माई,
कहे शानू कर्मा का लिखिया,
मेट सके ना कोई।।
नाम में धरियो कछु ना भाई,
कर्मा में लिखीयोड़ा मिलसी,
शुभ कर्म सदा सुखदाई।।
गायक – शांति लाल रेगर।
प्रेषक – शानू रेगर सावंता।
9610489087