कहाँ छोड़ गए गोपाल,
दोहा – हे कान्हा कहा छोड़ गए,
अर्जी कर कर हारी,
आणि कलयुग के मायने,
फिरती मारी मारी।
गौ माता बिलखत रही,
आणि कलयुग र माय,
गौ माता भूखा मरे,
और कुता बिस्किट खाय।
किस्मत से हरि नाम मिला,
वरना ऐसी कोई बात नाही,
क्या मैं गाऊ क्या सुनाऊं,
इतनी मेरी ओकाद नाही।
कहाँ छोड़ गए गोपाल,
बिलखती कलियुग में,
कलियुग में रे कलियुग में,
कलयुग में रे कलयुग में।।
छोड़ गये कहा कृष्ण मुरारी,
करे कदर ना यहां हमारी,
अब कोई नहीं गवाल,
बिलखती कलियुग में,
कहा छोड़ गये गोपाल,
बिलखती कलियुग में।।
कोई मारे लाठी पथर,
कोई मारे हमको टक्कर,
कोई करता हमे हलाल,
बिलखती कलियुग में,
कहा छोड़ गये गोपाल,
बिलखती कलियुग में।।
राजनीति का में हु हिस्सा,
सभी सुनाए मेरा किस्सा,
कोई ले ना हाल समाल,
बिलखती कलियुग में,
कहा छोड़ गये गोपाल,
बिलखती कलियुग में।।
कोई खा जाय मेरा चारा,
कोई कराए कत्ल हमारा,
कोई करता व्यर्थ बवाल,
बिलखती कलियुग में,
कहा छोड़ गये गोपाल,
बिलखती कलियुग में।।
शानू संग आवाज उठाओ,
राष्ट्र माता का दर्जा दिलाओ,
फिर देखो गजब कमाल,
बिलखती कलियुग में,
कहा छोड़ गये गोपाल,
बिलखती कलियुग में।।
गायक – शानू रेगर सावंता।
9610489087