रमइयो रम गयो म्हारी हैली,
थारा दो नैणा के बीच।।
कोटा उपर कोटडी,
जा पर बैठा मोर,
मोर बिचारा क्या करै,
घर मे घुस गया चोर,
खजाना थारा लुट गया म्हारी हैली,
थारा दो नैणा कि बीच।।
धोबण कपडा धोवटी,
त्रिकुटी के घाट,
साबुन तो मछलिया काम,
धोबण जोवै बाट,
शीला थारी धूपगी ये म्हारी हेली,
थारा दो नैणा कि बीच।।
रतन कुवो मुख साकडो,
लांबी लारी नेज,
पांच पणिहारिया पानी नै चाली,
कडिया लांबा केस,
कमर थारी झुक गयी म्हारी हैली,
थारा दो नैणा कि बीच।।
आठ हाथ कि काकडी,
नो हाथा को बीज,
कह कबीर सुणो भाई साधो,
दस दरवाजा बीच,
ज्योती का दर्शन करले म्हारी हैली,
थारा दो नैणा कि बीच।।
रमइयो रम गयो म्हारी हैली,
थारा दो नैणा के बीच।।
गायक – मनोहर परसोया किशनगढ।