जपले हरी नाम नादान काहे इतना करे गुमान लिरिक्स
जपले हरी नाम नादान, काहे इतना करे गुमान।। बालपन हस खेल गंवाया, गोरे तन को देख लुभाया, भुला सबकुछ हुआ […]
जपले हरी नाम नादान, काहे इतना करे गुमान।। बालपन हस खेल गंवाया, गोरे तन को देख लुभाया, भुला सबकुछ हुआ […]