थारे घट में विराजे भगवान बाहर काई जोवती फिरे लिरिक्स
थारे घट में विराजे भगवान, बाहर काई जोवती फिरे।। नो नहाई नौरता, दसवे नहाई काती, हरी नाम की सुध नही […]
थारे घट में विराजे भगवान, बाहर काई जोवती फिरे।। नो नहाई नौरता, दसवे नहाई काती, हरी नाम की सुध नही […]
हिन्दो घलई दूँ सत्संग बाग में, ओ गुरूजी। दोहा – गुरु बीणजारा ग्यान रा, ने लाया वस्तु अमोल, सौदागर साचा […]