ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया भजन लिरिक्स
ताना रे ताना विभीषण का, जिसको नहीं सुहाया, भरी सभा में फाड़ के सीना, बजरंग ने दिखलाया, बैठे राम राम राम, सीता राम …
ताना रे ताना विभीषण का, जिसको नहीं सुहाया, भरी सभा में फाड़ के सीना, बजरंग ने दिखलाया, बैठे राम राम राम, सीता राम …