कावड़िया ले चल गंग की धार भजन लिरिक्स
कावड़िया ले चल गंग की धार, दोहा – भस्म रमाए बैठे है शंकर, सज धज के दरबार, कावड़िया ले आओ कावड़, राह तके …
कावड़िया ले चल गंग की धार, दोहा – भस्म रमाए बैठे है शंकर, सज धज के दरबार, कावड़िया ले आओ कावड़, राह तके …