थारी मेलोड़ी चादर धोय समझ मन मायला रे
थारी मेलोड़ी चादर धोय, दोहा – मन लोभी मन लालची, मन चंचल मन चोर, मन के मते नही चालिये, पलक पलक मन ओर। …
थारी मेलोड़ी चादर धोय, दोहा – मन लोभी मन लालची, मन चंचल मन चोर, मन के मते नही चालिये, पलक पलक मन ओर। …
हिंडो घला दयो ओ सत्संग माई ने, दोहा – सतगुरु के दरबार में, नर जाइए बारंबार, भूली वस्तु बताएं दी, मेरे सतगुरु दातार। …