भूल गया मानव मर्यादा जब कलयुग की हवा चली लिरिक्स
भूल गया मानव मर्यादा, जब कलयुग की हवा चली, धूप कपुर ना बिके नारियल, दारू बिक रही गली गली।। तर्ज – क्या मिलिए …
भूल गया मानव मर्यादा, जब कलयुग की हवा चली, धूप कपुर ना बिके नारियल, दारू बिक रही गली गली।। तर्ज – क्या मिलिए …