म्हारा श्याम बहादुर जी थे कैयां पट खुलवाया लिरिक्स

म्हारा श्याम बहादुर जी थे कैयां पट खुलवाया लिरिक्स

म्हारा श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया।। तर्ज – मेरी बीच भंवर में है। तर्ज – छोड़ गए बालम। सेवक से मांगी चाबी जद, वो करदी इनकार, सेवक बोल्यौ खुद खुलवाल्यो, बाबो थारो यार, म्हारां श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया।। इतनी सुनकर गुरूवर बोल्या, अब कोनी दरकार, म्हारो बाबा खुद खोलेगो, अपनों … Read more

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