भजले रे बन्दे नाम हरि का क्यो करता है नादानी
भजले रे बन्दे नाम हरि का, क्यो करता है नादानी, सुनले रे ओ अभिमानी।। तर्ज – बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत। […]
भजले रे बन्दे नाम हरि का, क्यो करता है नादानी, सुनले रे ओ अभिमानी।। तर्ज – बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत। […]