विविध भजन

कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है भजन लिरिक्स

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कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है,
माता पिता को शरवण आँखे दिखा रहा है।।



पहले था एक रावण और एक ही थी सीता,

पहले था एक रावण एक ही थी सीता,
अब हर गली में रावण, सीता चुरा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।



कह दो हर एक बहन से अब तो सतर्क रहना,

कह दो हर एक बहन से अब तो सतर्क रहना,
पापी भी अब यहाँ पर राखी बंधा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।



इतिहास क्या लिखेगा अब वो महान भारत,

इतिहास क्या लिखेगा अब वो महान भारत,
अब हर गली में अर्जुन रिक्शा चला रहा है,
कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।



मजदुर का एक बेटा रोटी को तरस रहा है,

मजदुर का एक बेटा रोटी को तरस रहा है,
पर सेठ जी का कुत्ता रबड़ी को खा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।



कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,

माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है,
माता पिता को शरवण आँखे दिखा रहा है।।


Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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