गंग बरसे भीजे औघड़दानी गंग बरसे भजन लिरिक्स

गंग बरसे भीजे औघड़दानी,
गंग बरसे,
हे गंग बरसे भीजे औघ-ड़दानी,
गंग बरसे।।

तर्ज – रंग बरसे भीजे चुनर वाली।



भांग धतूरा का भोजन बनाया,

भांग धतूरा का भोजन बनाया,
खाये भोले दातार भगत तरसे,
गंग बरसे,
गंग बरसे भीजे औघड़-दानी,
गंग बरसे।।



गांजा और सुल्फा का चिलम भराया,

गांजा और सुल्फा का चिलम भराया,
खींचे भोले सरकार चिलम भरके,
गंग बरसे,
ओ गंग बरसे भीजे औघड़-दानी,
गंग बरसे।।



कैलाश पर्वत पे आसन लगाया,

कैलाश पर्वत पे आसन लगाया,
‘शर्मा’ किये श्रृंगार भगत हरषे,
गंग बरसे,
ओ गंग बरसे भीजे औघड़-दानी,
गंग बरसे।।



गंग बरसे भीजे औघड़-दानी,

गंग बरसे,
हो गंग बरसे भीजे औघड़दानी,
गंग बरसे।।


https://youtu.be/0CoPqi_eWIA

By Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

One thought on “गंग बरसे भीजे औघड़दानी गंग बरसे भजन लिरिक्स”
  1. Bawal bawal baba ke bajan ki tariff karo intni meri oakat ka
    .

    Sita ram.
    Jai shree mahankal..

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